हिंदी दिवस – આપને માટે શું છે?
“हिंदी यही, जय हिंद यही है, प्रेम-पुजारिन हिंदी| इसके एक नयन में गंगा, दूजे में कालिंदी| अंतर्धारा के संगम पर, इसने मिसरी घोली| धरती-जाई भाषा अपनी, जननी, अपनी बोली।” विरेन्द्र मिश्र जी की ये पंक्तियाँ काफ़ी है हमें समजाने के लिए कि ‘हिंदी’ हमारे लिए क्या और क्यों है!?
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